रामपुर तिराहा कांड मे न्यायालय से आया फैसला
रामपुर तिराहा कांड मे न्यायालय से आया फैसला
मुख्य बिंदु :
-३० साल पहले मुजफ्फरनगर में बहा था पहाड़ का लहू, उत्तराखंड आंदोलनकारियों को आज भी इंसाफ का इंतजार
-जलियावाला बाग जैसा था रामपुर तिराहा कांड : कोर्ट की टिप्पणी
-सामूहिक दुष्कर्म के दोषी पीएसी के सिपाहियों को आजीवन कारावास
-पीड़िता को मिलेगा एक लाख का प्रतिकर
-यह था मामला:
एक अक्तूबर 1994 की रात अलग राज्य की मांग के लिए देहरादून से बसों में सवार होकर आंदोलनकारी दिल्ली के लिए निकले थे। इनमें महिला आंदोलनकारी भी शामिल थीं। रात करीब एक बजे रामपुर तिराहा पर बस रुकवा ली। दोनों दोषियों ने बस में चढ़कर महिला आंदोलनकारी के साथ छेड़खानी और दुष्कर्म किया। पीड़िता से सोने की चेन और एक हजार रुपये भी लूट लिए थे। आंदोलनकारियों पर मुकदमे दर्ज किए गए। उत्तराखंड संघर्ष समिति ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद 25 जनवरी 1995 को सीबीआई ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए थे।
-फैसला :
शासकीय अधिवक्ता फौजदारी राजीव शर्मा, सहायक शासकीय अधिवक्ता फौजदारी परवेंद्र सिंह, सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक धारा सिंह मीणा और उत्तराखंड संघर्ष समिति के अधिवक्ता अनुराग वर्मा ने बताया कि सीबीआई बनाम मिलाप सिंह की पत्रावली में फैसला सुनाया गया। पीएसी के सिपाही रहे दोषी मिलाप सिंह और वीरेंद्र प्रताप सिंह को धारा 376 (2) (जी) में आजीवन कारावास और 25 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई।
धारा 392 में सात साल का कठोर कारावास और 10 हजार रुपये अर्थदंड, छेड़छाड़ की धारा 354 में दो साल कारावास और 10 हजार रुपये अर्थदंड और धारा 509 में एक साल का कारावास और पांच हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई। दोनों दोषियों पर कुल अर्थदंड एक लाख रुपये लगाया गया है। अर्थदंड की संपूर्ण धनराशि बतौर प्रतिकर पीड़िता को दी जाएगी।