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Karwa Chauth : करवा चौथ व्रत

Karva Chauth: सुहाग का प्रतीक माना जाता है करवा चौथ का व्रत। मान्यता है कि करवा चौथ का पूरे विधि-विधान से व्रत रखने पर अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है। करवा चौथ के दिन मां गौरी और गणेश जी की विधिवत पूजा की जाती है। करवा चौथ का व्रत स्त्रियों के लिए फलदायक माना गया है। अपने पति की रक्षा और लंबी उम्र की कामना के लिए महिलाएं करवा चौथ का व्रत हर साल रखती हैं। यह व्रत निर्जला व्रत है, जो बेहद कठिन माना जाता है। करवा चौथ के व्रत की शुरुआत सरगी से होती है और इसका पारण चंद्र दर्शन के बाद ही किया जाता है। करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसी इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रख संध्या के समय शुभ मुहूर्त में व्रत कथा का पाठ करती हैं। फिर चंद्रोदय होने पर चंद्रमा के दर्शन और पूजा करने के पाश्चत्य ही अपना व्रत खोलती हैं।


क्यों मनाते हैं करवा चौथ?

एक बार की बात है पांडव पुत्र अर्जुन नीलगिरी पर्वत पर तपस्या करने गए थे। उसी वक्त पांडवों पर बड़ी विपदा या पड़ी। तब भयभीत और चिंतित द्रौपदी ने भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान किया और उनसे आन पड़ी इस संकट की घड़ी के निवारण के लिए उपाय पूछा। तब भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन करवा चौथ का व्रत करने को कहा था। मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती ने भी भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यह व्रत रखा था


संध्या पूजा विधि

सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाएं और स्नान आदि कर सूर्योदय से पहले सरगी का सेवन करें। देवी देवताओं को प्रणाम कर व्रत रखने का संकल्प लें। करवा चौथ मैं विशेष तौर पर संध्या पूजन की जाती है। शाम से पहले ही गेरू से पूजा स्थान पर फलक बना लें। फिर चावल के आटे से फलक पर करवा का चित्र बनाएं। इसके बजाय आप प्रिंटेड कैलेंडर का इस्तेमाल भी कर सकती हैं। संध्या के समय शुभ मुहूर्त में फलक के स्थान पर लकड़ी का आसन स्थापित करें। अब चौक पर भगवान शिव और मां पार्वती के गोद में बैठे प्रभु गणेश के चित्र की स्थापना करें। मां पार्वती को श्रृंगार सामग्री अर्पित करें और मिट्टी के करवा में जल भर कर पूजा स्थान पर रखें। अब भगवान श्री गणेश, मां गौरी, भगवान शिव और चंद्र देव का ध्यान कर करवा चौथ व्रत की कथा सुनें। चंद्रमा की पूजा कर उन्हें अर्घ्य दें। फिर छलनी की ओट से चंद्रमा को देखें और उसके बाद अपने पति का चेहरा देखें। इसके बाद पति द्वारा पत्नी को पानी पिलाकर व्रत का पारण किया जाता है। घर के सभी बड़ों का आशीर्वाद लेना न भूलें। 


करवा चौथ पर इन मंत्रो का करें जाप?

करवा चौथ के दिन शिव परिवार और करवा माता की पूजा की जाती है। पूजा के दौरान इन मंत्रों का जाप जरूर करें। मान्यता है कि ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है।


गणेश मंत्र- ॐ गणेशाय नमः

शिव मंत्र- ॐ नमः शिवाय

मां पार्वती जी का मंत्र- ॐ शिवायै नमः

चंद्रदेव को अर्घ्य देते समय मंत्र- ॐ सोमाय नमः


थाली फेरते समय करें ये काम

करवा चौथ की पूजा के दौरान थाली फेरते समय नीचे बताई गयी लाइनें बोलने की मान्यता है। 


बहन पराई वीरां, चंद चढ़े तां पाणी पीणा


चंद्रमा को अर्घ्य कैसे दें?

करवा चौथ के दिन संध्या के समय कथा-पाठ करने के बाद कलश में चांदी का सिक्का और अक्षत के साथ चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। फिर इसके बाद पति के दर्शन कर जल ग्रहण कर व्रत का पारण किया जाता है। 


करवा, दीपक, कांस सींक का महत्व 

करवा चौथ में भगवान शिव, मां गौरी और गणेश जी की पूजा करने का विधान है। वहीं, मिट्टी के करवा, जिसमें टोटी लगी होती है, उसे गणेश जी की सूंड माना जाता है। करवा चौथ पूजा के दौरान इसी करवा में जल भरकर पूजन का महत्व है। वहीं, करवा चौथ की पूजा में चंद्रोदय के बाद महिलाएं छलनी में दीपक रख चंद्रमा के दर्शन करने के पश्चात अपने पति का चेहरा देखती है। मान्यता है ऐसा करने से नेगेटिविटी दूर होती है और पति-पत्नी का रिश्ता मजबूत होता है। कांस की सींक शक्ति का प्रतीक है, जिसे करवा की टोटी में डालकर पूजा की जाती है। 


करवा चौथ व्रत पारण कब और कैसे होता है?

इस व्रत में न तो अन्न और न ही जल का सेवन किया जाता है। इस व्रत की शुरुआत जहां ब्रह्म मुहूर्त से होती है वहीं, चंद्र दर्शन और चंद्र पूजा के बाद इसकी समाप्ति होती है। व्रत का पारण चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजन के बाद ही किया जाता है। वहीं, व्रत पारण के बाद सात्विक भोजन ही करना चाहिए।